बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मालिश के निम्न प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(1) कम्पन
(2) रैकिंग
(3) पथराना
(4) सेन्ट्रिग
(5) प्रेशर थिरेपी
उत्तर -
(1) कम्पन
यह शब्द के उच्चारण के अनुरूप ही क्रिया होती है। यह हाथ की गद्दी से अथवा उँगलियों के द्वारा की जाती है। कम्पन त्वचा की सतह पर बिना सम्पर्क को तोड़े तेजी से झकझोरने वाली अथवा कम्पन वाली सर्वोत्तम गति मानी गई है। यह गर्दन तथा कन्धों को हर समय ढीला रखने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
कम्पन की गतियाँ इस प्रकार हैं-
(i) ऊर्ध्वाधर (वर्टीकल ) कम्पन त्वचा की सतह पर ऊपर-नीचे बिना सम्पर्क तोड़े की जाने वाली स्थिर क्रिया है।
(ii) समसमानान्तर कम्पन त्वचा के बगल से सतह पर बिना सम्पर्क तोड़े एक स्थिर कम्पन गति है।
(iii) त्वचा की सतह के साथ-साथ ग्लाइडिंग करते समय दौड़ने वाली कोई - सी भी गति का उपयोग किया जा सकता है। इसका दबाव गहरा होना चाहिए तथा हाथ से कम्पन लगातार करते रहना चाहिए
कम्पन का उपयोग करते हुए कोई भी तीन सेकेण्ड का कम्पन करने के बाद दो सेकेण्ड का विश्राम कर सकता है। लयात्मक तरीके से किए गए अभ्यास से यह प्राकृतिक हो जाता है। यदि हाथ कमजोर हों तो एक हाथ के ऊपर दूसरा हाथ सहारे के लिए उपयोग किया जा सकता है।
लाभ-
(i) यह कड़ी संधियों को ढीला कर बाहरी तंत्रिकाओं के उद्दीपनों को उत्तेजित करती हैं तथा मुरझाये हुए ऊतकों को फैलाती है।
(ii) यह बहुत आरामदेह तथा राहत पहुँचाने वाली क्रिया है।
(iii) यह मैटाबोलिक व्यर्थ उत्पादों को बिखेरने में मदद करती है।
(iv) यह अत्यधिक मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाती है।
(v) यह संचार तथा उत्तकीय द्रव को आपस में बदलने को व्यवस्थित करती हैं।
(2) रैकिंग
रैकिंग एक आसन गतिविधि है जिसे लगभग शरीर के सभी अंगों द्वारा विशेष तौर पर गर्दन की बड़ी पेशियों के द्वारा किया जा सकता है। त्वचा की सतह के साथ ग्लाइडिंग तथा नरम ऊतकों को उँगलियों के सिरों से खेंचते हुए गहरे सम्पर्क को त्वचा की सतह पर हूकिंग करना है। गतियों में परिवर्तन उँगलियों की गति को एकान्तर करते हुए किसी भी क्रम में उन्हें हथेली की ओर उँगलियों को खींचकर किया जा सकता है। यह गति तब प्रभावशील होती है जबकि पेशियाँ सिकुड़ी हुई न हों।
लाभ-
(i) यह पेशियों को परोक्ष रूप में गर्माती हैं तथा फैलाती हैं।
(ii) यह गर्दन तथा कन्धे पर एक जगह स्थित तनावों के उपचार में बहुत उपयोगी है।
(3) पथराना
पैट्रिसेज एक प्रकार का बढ़ता हुआ पिकिंगअप तथा रोलिंग दबाव गति है जिस में एक से एक खिंचता है तथा दूसरे हाथ से धकेलता है तथा एकांतर प्रकार से बारी-बारी से इस तरीके को दुहराता है। हाथ पेशियों के साथ-साथ ऊर्ध्वाधर ग्लाइड करता है बिना सम्पर्क तोड़े।
लाभ-
(i) यह उन रोगियों की पेशियों में मजबूती लाने तथा उनको फैलाने में सहायक होती है जो रोगी बिल्कुल बिस्तर में धँस गए हों।
(ii) चूँकि इससे परोक्ष रूप में पेशियों में लयात्मकता उत्पन्न हो जाती है तथा संचरण के बढ़ने से व्यर्थ उत्पाद इस क्रिया द्वारा हटाए जाने में मदद मिलती है।
(iii) यह लिम्फैटिक बहाव को बढ़ाता है।
(4) सेन्ट्रिग
इस क्रिया में गतियों को बिना प्रयत्न के प्राकृतिक रूप से संचालित करने दिया जाता है। यह मालिश का एक अभिन्न भाग है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक तकनीकी आ जाती है। सेन्ट्रिंग में श्वसन तथा एकाग्रता की आवश्यकता होती है। इसमें स्थिर रहना चाहिए। तथा ढीला अनुभव करना चाहिए तथा अपना ध्यान तथा दृष्टि श्वसन पर रखते हुए शान्त अनुभव करने तक प्रतीक्षा कीजिए।
(5) प्रेशर थिरेपी
दबावीय उपचार में शरीर के विशिष्ट क्षेत्र में दबाव डाला जाता है। विशिष्ट क्षेत्र की पहचान प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न हो सकती है। क्योंकि ये स्थान छूने में बहुत संवेदनशील होते हैं, इन बिन्दुओं अथवा नालिकाओं से ऊर्जा खण्डों को मुक्त करने के लिए दबाव डाला जाता है। बिन्दुओं को उत्तेजित करके रक्त संचरण को सुधारा जाता है तथा ऊर्जा संतुलन को बनाए रखकर सामान्य स्वास्थ्य को व्यवस्थित किया जाता है। स्थिर ऊर्ध्वाधर (वर्टीकल ) दबाव का अर्थ है 90° कोण पर बिना गति के दबाव | इसको सही ढंग से करने के लिए अंगूठों को लगाना चाहिए तथा हथेली, कुहनी तथा पैरों की एड़ियों के द्वारा भी प्रयोग किया जा सकता है। जब अंगूठे से दबाव लगाया जाए तो अंगूठे की गेंद से हल्का तथा उसके पोरों से सख्त दबाव लगाया जाता है। दबाव को आहिस्ता- आहिस्ता से लगाना चाहिए और बिन्दु को तब तक पकड़े रहना चाहिए जब तक कि उद्दीपन का अनुभव न हो। यदि कोई अनुभव नहीं हो रहा है तो कोण की डिग्री बदलिये। जब आप परिवर्तन का अनुभव करें तो पकड़ को कम करते हुए अगले बिन्दु पर चले जाइए। यह प्रयत्नशील होना चाहिए। मांसपेशियों की बजाय जहाँ संभव हो अपने शरीर के भार का उपयोग करें प्रभावी बिन्दुओं को धकेलने के बजाए लीन करें।
लाभ-
(i) नलिका घाव में रक्त के जमाव को साफ करने में मदद कर सिर दर्द में आराम दिलाता है।
(ii) यह थकी श्रवणेन्द्रियों तथा नेत्रों के लिए उत्तम है।
(iii) यह रक्त संचार को सुधार कर शरीर के तनाव को हटाता है।
(iv) यह शरीर के कड़े से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
(v) यह सर्दीजन्य लक्षणों, कफ तथा अस्थमा आदि को दूरकर आराम दिलाता है।
(vi) यह मासिक स्राव की परेशानियों को कम करता है।
(vii) यह अंदरूनी अंग प्रणालियों तथा अच्छे स्वास्थ्य को बनाता है।
(viii) यह पित्त की थैली के बिन्दु तथा मूत्रालय ब्लैडर की नालिकाओं के रुकाव को हटाकर उसे जारी रखता है।
(ix) यह गुठनों के गठिया बाय को दूर करता है।
(x) यह आमाशय, तिल्ली, जिगर की नलिकाओं को कार्यरत बनाये रखकर पाचन में मदद देता है।
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- प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
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- प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालिश से क्या समझते हैं? मालिश के सामान्य विचारों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
- प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
- प्रश्न- मालिश के प्रतिषेध से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- विद्युत चिकित्सा एवं अवरक्त चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
- प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।